निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जो महिलाएं जिनको गर्भावधि मधुमेह मेलेतुस (Gestational Diabetes Mellitus (GDM)) है उनमे बाद के जीवनकाल में टाइप 2 मधुमेह के निदान की संभावना 20 गुना अधिक होगी और इसकेमिक हृदय रोग विकसित होने की तुलना में डेढ़ गुना अधिक होगी और उच्च रक्तचाप में लगभग दो बार विकसित होने की संभावना होगी।
अनुसंधान बर्मिंघम, ऑकलैंड और वारविक विश्वविद्यालयों के साथ-साथ यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स बर्मिंघम NHS फाउंडेशन ट्रस्ट के बीच एक सहयोग था।
टीम ने 1990 और 2016 के बीच GDM के निदान की 9,000 से अधिक महिलाओं की जांच की।
बर्मिंघम इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड हेल्थ रिसर्च विश्वविद्यालय के डॉ। कृष्ण निरंतरकुमार ने कहा: "परिणाम बताते हैं कि GDM के निदान के महिलाएं में अपेक्षाकृत कम उम्र में उच्च रक्तचाप और इस्केमिक हृदय रोग विकसित होने की संभावना अधिक हैं।"
इस निष्कर्ष में टाइप 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी रोग के विकास के प्रक्षेपवक्र में शुरुआती और प्रसवोत्तर के बाद के अवधियों में एक महत्वपूर्ण जानकारी शामिल है।
ऑकलैंड विश्वविद्यालय में मेडिकल और हेल्थ साइंसेज के संकाय के बारबरा डेली ने कहा कि यह शोध विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश विकसित देशों में GDM का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है।
डैली ने कहा, "क्लिनिकल दिशानिर्देशों में जीडीएम के निदान की गई महिलाओं में सभी कार्डियोवस्कुलर जोखिम कारकों के लिए प्रसवोत्तर स्क्रीनिंग और मैनेजमेंट शामिल करने की आवश्यकता है और इसे डायबिटीज तक सीमित नहीं है"।
अनुसंधान PLOS Medicine journal में प्रकट होता है। (ANI)
Credits: https://www.aninews.in/news/lifestyle/parenting/diabetes-during-pregnancy-ups-heart-disease-risk201801171045560001/